Welcome to Purwal Vaish Mahasabha, Delhi
The community of Purwal Vaish is represented by an organisation - Purwal Vaish Mahasabha, Delhi Executives of which are elected by the members of the community.
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मुख्य पदाधिकारी - पुरवाल वैश्य महासभा, दिल्ली (रजि)
जून 2022 से मई 2025
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श्री हंसराज गुप्ता जी |
(अध्यक्ष) |
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श्री गौरव गुप्ता जी |
(महामंत्री ) |
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श्री कमल किशोर गुप्ता जी |
(कोषाध्यक्ष) |
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श्री आदेश कुमार जी |
(उपाध्यक्ष) |
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श्री उत्तम कुमार आर्य जी |
(प्रधान, न्याय समिति) |
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श्री पवन कुमार गुप्ता जी |
(सचिव, न्याय समिति) |
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श्री सुधीर गुप्ता जी |
(उपाध्यक्ष) |
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श्री हीरा लाल गुप्ता जी |
(उपाध्यक्ष) |
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विभिन्न समाजों द्वारा प्रकाशित पत्रिकाएँ
संदेश
प्रिय स्वजाति बंधुओं,
आज हम उस दौर से गुज़र रहे है जहाँ देश, समाज और हमारे आने वाले कल को हमारे एकजुट होने की अति आवश्यकता है। समाज में फैली बुराइयों और त्रुटियों को समाप्त करने और एक बेहतर कल की स्थापना के लिए जरुरत है कि हम आज एक मंच पर एकत्र हो। जहाँ समाज के युवाओं को एक साथ एक ही मंच पर लाया जा सके; जहाँ एक सुद्रण और सशक्त समाज का निर्माण हों, जहाँ आप अपने सुविचारों से समाज को एक नई दिशा, सुनियोजित व्यवस्था दे सकें एवं संचालन कर सकें।
आशा है कि आप हमारी सोच से सहमत होंगे और समाज के बेहतर और मजबूत निर्माण में सहयोग प्रदान करेंगे।
गौरव गुप्ता
(उपाध्यक्ष- पुरवाल वैश्य महासभा, दिल्ली)
पुरवाल वैश्य समाज का इतिहास
प्रिय स्वजाति बंधुओं,
अपने समाज के विषय में अनेकों जानकारियां इकटठा करके उसे एक पुस्तक के रूप में "पुरवाल वैश्य समाज का इतिहास" के नाम से वर्ष 2007 में हमारी संस्था द्वारा प्रकाशित करवाया गया था।
जनवरी 2007 में पुस्तक के विमोचन के पश्चात इसे घर घर निशुल्क पहुंचाने का प्रयास किया गया। संभव है कि कुछ घरों में यह पुस्तक अभी भी न पहुंची हो।
जिन घरों में "पुरवाल वैश्य समाज का इतिहास" नामक यह पुस्तक नहीं पहुंची है वे इसे निम्नलिखित स्थान से निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं।
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उद्देश्य
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भारतवर्ष में वैश्यों की 350से अधिक उप-जातियां हैं। परन्तु इन उप-जातियों के विषय में परस्पर जानकारी बहुत कम है। पुरवालों का परिचय देश विदेश में रहने वाले विभि नामधारी वैश्यों से करवाना।
विभि स्थानों पर रहने वाले पुरवाल वैश्यों को संगठित करना।
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समान नामधारी वैश्य समुदायों - पोरवाल, पुरवार, पोरवाड़ आदि वैश्यों को समीप लाना और परस्पर जानकारी बढ़ा कर आपस में रोटी-बेटी के संबंध स्थापित करना।
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पुरवालों की सनातन व गौरवशाली परम्पराओं की जानकारी देना।
-पुरवाल वैश्य समाज
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